दिल्‍ली हाईकोर्ट ने की AAP के 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द

kejriwal

केजरीवाल सरकार को दिल्‍ली हाईकोर्ट से गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार की ओर से उसके 21 विधायकों को संसदीय सचिवों के रूप में नियुक्त करने के आदेश को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध करार दिया। आप के इन 21 विधायकों की नियुक्ति तत्‍काल प्रभाव से रद्द की गई है।

केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्ति किया था।केजरीवाल सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियां की गईं। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्‍पणी में कहा कि संसदीय सचिव का पद लाभ का पद है। गौर हो कि 13 मार्च, 2015 को आम आदमी पार्टी ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था।

प्रमुख न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने यह आदेश तब जारी किया, जब दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले वकील ने यह ‘स्वीकार कर लिया’ कि 13 मार्च 2015 का आदेश उपराज्यपाल की सहमति या सलाह लिए बिना जारी किया गया था।दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने उच्च न्यायालय के चार अगस्त वाले फैसले का हवाला दिया, जिसमें उसने आप सरकार की कई अधिसूचनाओं को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि इन्हें उपराज्यपाल की सहमति लिए बिना जारी किया गया।

नंदराजोग ने पीठ को बताया कि आज मुझे यह मानना होगा कि चार अगस्त वाला फैसले मेरे (दिल्ली सरकार के) खिलाफ है। दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए अभ्‍यावेदनों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार) के विवादित आदेश को खारिज किया जाता है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग भी 21 विधायकों को संसदीय सचिवों के रूप में नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर गौर कर रहा है।

उच्च न्यायालय ने अपने चार अगस्त के फैसले में कहा था कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है और उपराज्यपाल ही इसके प्रशासनिक प्रमुख हैं। केंद्र ने 13 जुलाई को आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से नियुक्त किए गए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध किया था। केंद्र ने कहा था कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव पद के अलावा इस पद का न तो संविधान में कोई स्थान है और न ही दिल्ली विधानसभा (अयोग्यता निवारण) कानून (1997) में।

गृह मंत्रालय ने न्यायालय से कहा कि इस तरह की नियुक्ति कानून सम्मत नहीं है। आप के 21 विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति के अरविंद केजरीवाल के निर्णय को निरस्त करने की मांग करते हुए एक गैर-सरकारी संगठन ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका पर न्यायालय ने केंद्र को नोटिस दिया था, जिसके जवाब में गृह मंत्रालय ने एक हलफनामा दायर कर सरकार का पक्ष रखा।

हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता निवारण) विधेयक में संशोधन कर 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की लेकिन राष्ट्रपति ने राज्य सरकार के इस निर्णय पर अपनी सहमति नहीं दी। पिछली सुनवाई के दिन दिल्ली सरकार ने कहा था कि 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की गयी थी जिस संबंध में आयोग ने नोटिस जारी किया है।

इसके बाद उच्च न्यायालय ने अगली सुनवायी के लिए आज का दिन मुकर्रर किया था।पिछले वर्ष के सात अक्तूबर को आप सरकार ने यह कहते हुए संसदीय सचिवों की नियुक्ति के अपने आदेश का बचाव किया था था कि ऐसा मंत्रियों के मदद करने और सामंजस्यपूर्ण कामकाज के लिए किया गया है।

राज्य सरकार ने कहा कि संसदीय सचिवों को वैसे गोपनीय दस्तावेज देखने का अधिकार नहीं दिया गया था, जिसका अधिकार केवल मंत्रियों को होता है। राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा नामक एनजीओ ने अपनी याचिका में दावा कि मुख्यमंत्री ने संवैधानिक प्रावधानों का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए ‘असंवैधानिक और गैर-कानूनी आदेश’ पारित किया।

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *