2009 में श्रीलंका सरकार के हाथों सैन्य पराजय का सामना करने के बावजूद लिट्टे का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और उसे मिलने वाली वित्तीय मदद अब भी मजबूत है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कल अपनी वार्षिक ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म फॉर 2014’ जारी की। श्रीलंका में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से ऐसे किसी भी हमले का पता नहीं चला है जिसके लिए लिट्टे को प्रामाणिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सके, लेकिन 2014 में मलेशिया में कुल 13 लिट्टे समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से कई ने कथित रूप से अमेरिका के खिलाफ और भारत में इस्राइली दूतावास के प्रतिष्ठानों पर हमलों की योजना बनायी थी।
रिपोर्ट के अनुसार सैन्य बलों के सामने घुटने टेकने से पहले लिट्टे एक समन्वित विद्रोही रणनीति पर काम कर रहा था, जिसका निशाना श्रीलंका के प्रमुख प्रतिष्ठान और वरिष्ठ नेता एवं सैन्य अधिकारी थे। लिट्टे ने विरोधी तमिल समूहों को निशाना बनाकर लगातार अभियान चलाए और 1991 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और 1993 में श्रीलंकाई राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा की हत्या की।
लिट्टे अपने आत्मघाती हमलावरों ‘ब्लैक टाइगर्स’ के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात था। इसके अलावा उसके पास सतह और जल में काम करने वाला सैन्य बल ‘सी टाइगर्स’ और वायु सैन्य बल ‘एयर टाइगर्स’ भी थे। मई 2009 में श्रीलंकाई सैन्य बलों ने लिट्टे के प्रभाव का पूरी तरह अंत कर दिया और उसके प्रमुख प्रभाकरण, नेतृत्व और सैन्य कमान के दूसरे सदस्यों को मारकर जीत की घोषणा की।रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2014 में श्रीलंका सरकार ने ऐलान किया कि उसने ऐसे 16 संगठनों और 422 लोगों को सूचीबद्ध किया है, जो आतंकी इकाइयों या लिट्टे को दोबारा खड़ा करने अथवा उनके लिए वित्त की व्यवस्था करने से जुड़े हैं।