कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियों ने व्यवसायी विजय माल्या को भागने के लिए उकसाया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि माल्या के देश छोड़ने में भाजपा नेतृत्व और मोदी सरकार की मिलीभगत के ‘संवेदनशील तथ्य’ लोगों के समक्ष आए हैं। उन्होंने दावा किया, ‘तथ्यों से पता चलता है कि माल्या ने देश नहीं छोड़ा बल्कि सरकारी एजेंसियों के उकसावे के कारण उन्हें देश से भगाया गया।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘मोदी जी ने 20 महीने में दो एनआरआई तोहफे के रूप में दिये — पहले एनआरआई ललित मोदी हैं (नान रिटर्निंग इंडियन) और दूसरे एनआरआई विजय माल्या हैं (नान रिपेइंग इंडियन)।’ उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 29 जुलाई को माल्या के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था और 12 अक्तूबर को एजेंसी ने उनके खिलाफ हिरासत में लेने का लुक आउट नोटिस जारी किया था।
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई ने एकतरफा नोटिस में संशोधन किया और 23 नवम्बर 2015 को लुक आउट नोटिस को संशोधित करते हुए कहा -केवल सूचना भेजिए। यह सब तब हो रहा था जब प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन मामले की जांच कर रहा था, जब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय माल्या और उनकी कंपनियों के खिलाफ एक मामले की जांच कर रहा था।
सुरजेवाला ने आश्चर्य जताया कि बैंकों ने अपना बकाया हासिल करने के लिए पांच मार्च तक उच्चतम न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया जो ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्त मंत्रालय के तहत आते हैं।’ इसके लिए उन्हें 29 फरवरी को ही सलाह दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश को जवाब देना चाहिए। इस बात का भी जवाब दिया जाना चाहिए कि सीबीआई की लुक आउट नोटिस पहले हिरासत में लिए जाने के लिए थी उसे कमतर कर केवल सूचना देने भर तक क्यों की गई। दो मार्च को जब विशिष्ट सूचना मिली कि वह देश छोड़ रहे हैं तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।