सुशील कुमार और उदीयमान सितारे नरसिंह यादव के बीच रियो के टिकट को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है.दोहरे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और उदीयमान सितारे नरसिंह यादव के बीच रियो के टिकट को लेकर विवाद ने जहां मैट के बाहर सुर्खियां बंटोरी वहीं इस साल शुरू हुई प्रो कुश्ती लीग ने देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.नरसिंह ने भारत के लिये इस साल ओलंपिक कोटा हासिल किया. ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त अधिकांश समय चोटों से जूझते रहे लेकिन जितने भी टूर्नामेंट खेले, उनमें प्रदर्शन अच्छा रहा.
ओलंपिक पर नजरें गड़ाये योगेश्वर ने चुनिंदा टूर्नामेंट ही खेले. लंदन ओलंपिक के इस कांस्य पदक विजेता को घुटने की चोट के कारण सितंबर में लास वेगास में हुई विश्व चैम्पियनशिप से नाम वापिस लेना पड़ा जिससे उनकी काफी आलोचना हुई. डब्ल्यूएफआई ने उन्हें अमेरिका जाने की अनुमति दे दी लेकिन वहां डाक्टरों ने उन्हें टूर्नामेंट नहीं खेलने की सलाह दी.
योगेश्वर ने साल के आखिर में पीडब्ल्यूएल में 65 किलोवर्ग में पहले ही मुकाबले में 2015 विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता उजबेकिस्तान के नवरूजोज इख्तियोर को हराकर वापसी की.पूरे साल कुश्ती जगत में यह बहस भी चलती रही कि रियो ओलंपिक में पुरूषों के 74 किलो फ्रीस्टाइल में नरसिंह को भेजा जाना चाहिये या सुशील को. भारत ने अभी तक इसी वर्ग में ओलंपिक कोटा हासिल किया है.
लंदन ओलंपिक में सुशील और नरसिंह अलग अलग भारवर्ग में उतरे थे. सुशील ने 66 किलोवर्ग में रजत पदक जीता जबकि नरसिंह 74 किलो में पहले ही दौर में बाहर हो गए थे.इसके बाद सुशील 74 किलोवर्ग में आ गए जब फिला ने भार वर्ग का नये सिरे से ऐलान किया. सुशील ने 2013 में नये भार वर्ग में जाने के बाद से दो टूर्नामेंटों में भाग लेकर एक रजत और एक स्वर्ण पदक जीता.
मैट पर एक साल से अधिक समय से नजर नहीं आये सुशील की गैर मौजूदगी में नरसिंह ने इस वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करके लगातार पदक जीते.उसने दोहा एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सभी को चौंका दिया.नरसिंह विश्व चैम्पियनशिप में पदक के साथ ओलंपिक कोटा जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बने. वह लास वेगास में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय रहे.