याद आता है वो बचपन सुहाना
मिट्टी के टीले पर वो चढ़ कर चिल्लाना
बिना बात के बतंगड़ बनाना
हर एक जिद्द को माँ से मनवाना
बापू के आहट से पढ़ने बैठ जाना
याद आता है वो बचपन सुहाना
भाइयों का बहनों को चुड़ैल कह कर बुलाना
उनकी इन बातों को बहनों को बताना
फिर आपस में उनको लड़ना
मार के डर से बापू को बुलाना
बापू का आकर मुझे बचाना
भाइयों के डाट पर मेरा मुश्कुराना
याद आता है वो बचपन सुहाना
हाथ की कलाई पर राखी बंधवाना
मेरी हर हरकत को उनका माफ़ कर जाना
बड़ी बहन का वो मेरा सिर सहलाना
याद आता है वो बचपन सुहाना
मानेन्द्र कुमार