मेष : जून माह तक उत्तम स्वास्थ्य। मांसाहार व मद्यपान से जून तक रक्तचाप में वृद्धि संभव। मार्च से अगस्त तथा सितंबर से वर्ष के अंत तक मधुमेह, नेत्र रोग व हारमोंस की प्रक्रिया में परिवर्तन। अत: मीठा खाने, वजन बढने, अत्यिअधिक भोग-विलास, आर्थिक -पारिवारिक व प्रेम-संबंधों के तनाव से मधुमेह में वृद्धि के प्रति सचेत रहें। फरवरी से जुलाई तक मधुमेह, गुर्दे, नेत्र, रीढ तथा गले के रोगों का सफल इलाज संभव। जुलाई से वर्षांत तक ज्यादा तले भोजन व मांसाहार से वजन बढने व गले में इन्फेक्शन के प्रति सचेत रहें।
* वृष : फरवरी से जून तथा अक्टूबर से दिसंबर तक बच्चों-वृद्धों को सांस की तकलीफ, उदर व नेत्र रोगों सहित एलर्जी रहेगी। युवा तथा अधिक आयु के जातकों का जून तक यूरिक एसिड, रक्तचाप, प्रोस्टेट के रोग, जोड़ों के दर्द तथा मधुमेह एवं वायु रोगों से परेशानी। फरवरी से मई तथा अक्टूबर से दिसंबर तक पेट व पाचन संबंधी रोगों से परेशानी । 20 अगस्त से वर्षांत तक हृदयरोगी विशेष सावधानी बरतें। वर्ष में सफेद पुखराज, पन्ना तथा सुबह सूर्य नमस्कार व प्राणायाम लाभकारी रहेंगे।
* मिथुन राशि : जून तक मानसिक ऊर्जा में वृद्धि । व्यायाम, नियंत्रित जीवनचर्या से उत्तम स्वास्थ्य । अत्यधिक श्रम, व्यायाम या ज्यादा भाग-दौड से पीठ, घुटने व गर्दन में दर्द संभव । जून उपरांत मांसाहार, मद्यपान, अनियमित भोजन से रक्तचाप, उदर रोग से परेशानी संभव । पूरे वर्ष ज्यादा पानी पीएं । मसाले व तले भोजन से बचें । जुलाई से वर्षांत तक त्वचा व फेफडों के रोगों सहित हर्निया व एलर्जी से परेशानी संभव । जुलाई उपरांत योग, प्राणायाम, हलका व्यायाम जरूरी। एलर्जी की वजह से सूती वस्त्रों का उपयोग जरूरी हो सकता है ।
* कर्क : असमंजस एवं अनिर्णय से सरदर्द, रक्तचाप में वृद्धि के संकेत, कंठ, गर्दन, पीठ, टांगों व मांसपेशियों में तनाव अथवा चोट से दर्द संभव । बच्चों के गले, टांसिल, नाक तथा चोट से पैरों व सिर में वर्ष भर चोट के योग । खिलाडि़यां, सैनिकों व पुलिस सहित चिकित्सा क्षेत्र के जातकों को भी परेशानी संभव । गर्भाशय, उदर व कान के रोगों तथा बवासीर, फोड़े फुंसियों, बच्चों को खसरा, डेंगू, मलेरिया से सावधानी जरूरी। दुर्गा व शिव उपासना करें, हनुमान चालीसा पढें।
* सिंह राशि– जून अंत तक खान-पान में अनुशासन की कमी से वजन, रक्तचाप, खांसी एवं अस्थमा में वृद्धि के योग । बांईं आंख की रोशनी कम हो सकती है । घुटने तथा गुदा के रोग जनवरी से 14 अगस्त तक परेशान कर सकते हैं । इस राशि के जातक उदर, पेट एवं हृदय के रोग से विशेष प्रभावित होते हैं। कार्यक्षेत्र एवं अन्य सफलताओं से आत्मबल एवं विश्वास बढा रहेगा। कृपया मीठा खाने, भोग-विलास की प्रवृत्ति तथा वजन बढने पर अकुंश रखें ताकि मधुमेह, प्रोस्टेट व गुर्दे के रोगों से बच सकें।
* कन्या राशि- इस राशि के जातक साधारणत: पेट व कान सहित पथरी के रोग से प्रभावित होते हैं। मामूली दुर्घटना से पीठ, कंधों, घुटनों एवं छाती में चोट के योग बने हुए हैं। 28 अगस्त से नवंबर के अंत तक टायफाईड, हर्निया, डेंगू, मधुमेह, कमजोरी तथा मूत्र संबधी समस्याओं के प्रति सावधान रहें। वर्ष भर संयम, अनुशासन, नैतिक चरित्र सबल बनाए रखना, विशेषकर उत्तरार्द्ध में जरूरी है । दुर्घटना व तनाव से बचने के लिए दुर्गा उपासना आवश्यक होगा ।
* तुला राशि- इस राशि के व्यक्ति साधारणत: रीढ, नेत्र, गुर्दे एवं गले के रोगों से प्रभावित होते हैं। जो लोग रक्तचाप, पेट, प्रोस्टेट के दीर्घकालीन कैंसर या अन्य रोगों से प्रभावित हैं, उन्हें 17 मई के उपरांत विशेष सावधानी रखनी होगी। हलका भोजन, हाथ, पैर व गर्दन की योग-क्रियाएं कपाल-भाति तथा अन्य प्राणायाम अति आवश्यक होंगे। शनि व दुर्गा की उपासना व गायत्री मंत्र में रमें ।
* वृश्चिक राशि- इस राशि के जातक मांसपेशियों, मूत्र, गले, त्वचा, गुर्दे व उदर रोगों से अधिक प्रभावित होते हैं । पेट, नेत्र व गले के रोग विशेष तौर पर परेशान कर सकते हैं। गुर्दे व गले के दीर्घकालीन रोगों व कैंसर एवं प्रोस्टेट में असमंजस एवं देरी से हानि संभव। चिकित्सक के संपर्क में जाने से संकोच न करें। वजन न बढने के उपाय करें । आने वाले 4 वर्ष उत्तम हैं । सूर्य व दुर्गा उपासना व गायत्री पूजन लाभकारी रहेंगे ।
* धनु राशि- जीवन के अन्य क्षेत्रों में उत्तम समय के चलते इस राशि में साधारणत: बीमारियों के कम योग हैं परंतु अत्यधिक -अनियंत्रित भोग-विलास के लिए जगह नहीं है। गुरु की राशि होने से सात्विक जीवनचर्या चाहती है । अत्यिअधिक व्यय से परेशानी हो सकती है । नेत्र व पेट के रोग और वजन बढने की समस्याओं से दो-चार हो सकते हैं । उदर व नेत्र के रोगों के प्रति सचेत रहें। सादा जीवन, लगातार गायत्री, सूर्य, दुर्गा की उपासना लाभकारी रहेगा ।
* मकर राशि- इस राशि के जातक सफलता के रास्ते पर चल रहे हैं परंतु जून तक मन, घुटनों, मांसपेशियों, फेफडों के रोगों सहित बवासीर व बढते रक्तचाप के प्रति सावधानी रखनी होगी। नशे, अत्यधिक दवाइयों एवं मांसाहार से गुर्दे व हडडी व फेफडे के रोगों में वृद्धि हो सकती है। शिव पूजन, शनि, दुर्गा की उपासना शुभ रहेगा।
* कुंभ राशि- वर्ष में 21 जून तक मांगलिक जातकों, खिलाडियों, पुलिस, सुरक्षा, चिकित्सा, कंधे , गर्दन, गले में चोट, रक्तचाप, जल के कम उपयोग से चक्कर आने तथा वजन बढने की समस्याएं हो सकती हैं । ये सभी अनुशासन व जीवनशैली की अनियमितताओं से जुडे कारणों से हो सकते हैं। मामूली दुर्घटना, हडडी रोगों की समस्या रहेगी। इस राशि में विशेष रूप से सिगरेट, नशे अथवा फेफडों मधुमेह, हृदय रोगियों और वृद्धावस्था से जुडे लोगों पर परेशानी के रूप में देखने को मिल सकती है। फेफडों, चक्कर आना, घुटनों, एलर्जी एवं ख़तरनाक बीमारियां भी देखने को मिल सकती हैं। दुर्गा, कृष्ण, मृत्युंजय से जुडे मंत्र जाप व हनुमान चालीसा लाभकारी हो सकते हैं।
* मीन राशि- स्वास्थ्य नियंत्रित। अत्यिधिक मछली, मांसाहार, पान-मसाला, तंबाकू व नशीली दवाइयों का उपयोग न करें। वृद्ध एवं पुरानी बीमारियों, महिलाओं के लिए यह समय परेशानी का हो सकता है। उदर, सांस की नली, गले व फेफडों सहित अस्थमा अपना असर दिखा सकता है। इससे उदर की समस्याओं से भूख बहुत कम लगेगी। मानसिक असंतुलन संभव है। गायत्री, मत्युंजयश् दुर्गा सप्तशती के जाप करना उत्तम रहेगा। सात्विक जीवनशैली शुभ प्रभाव देगी। प्राणायाम आवश्यक है।
इंडिया हल्ला बोल