फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है. होली पर्व के आने की सूचना होलाष्टक से प्राप्त मिलती है. होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है.
होली की शुरुआत होलाष्टक से प्रारम्भ होकर दुलैण्डी तक रहती है. इस वर्ष में 1 मार्च, 2012 से 8 मार्च, 2012 के मध्य होलाष्टक रहेगा , इस दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरु हो जाती है. होलाष्टक के पहेले दिन होलिका दहन के स्थान का चुनाव किया जाता है। इस दिन इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर, इस स्थान पर होलिका दहन के लिये लकडियां एकत्र करने का कार्य किया जाता है. पूर्णिमा तक लकड़ियों का ढेर बन जाता है और पुन: बुराई रूपी होलिका का पूजनोपरांत दहन किया जाता है
होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाता है. इन दिनों गर्भाधान, विवाह, पुंसवन, नामकरण, चूड़ाकरन विद्यारम्भ, गृह प्रवेश व निर्माण आदि सोलह संस्कारों और सकाम अनुष्ठान आदि अशुभ माने गए हैं।
सिद्धार्थ गौतम
(ज्योतिष संपादक इंडिया हल्ला बोल)