बाइबल कोई दर्शन शास्त्र की पुस्तक नहीं फिर भी इसमें दर्शन है। बाइबल वैज्ञानिक शोध की पुस्तक नहीं फिर वैज्ञानिक तथ्यों तथा बाइबल में कोई विरोध नहीं है। बाइबल इतिहास की पुस्तक नहीं है, परन्तु इतिहास का लेखा इसमें एकदम सटीक पाया जाता है।
बाइबल परमेश्वर के द्वारा मनुष्यों को दी गई पुस्तक है, जो परमेश्वर का पुत्र अर्थात यीशु मसीह को जगत के एकमात्र उद्धारकर्ता के रूप में प्रकट करती है।
किसी ने बाइबल के विषय में कहा है : “समझदार होने के लिये इसे पढ़ो, सुरक्षित रहने के लिये इस पर विश्वास करो, और धर्मी बनने के लिये इसका अभ्यास करो।”
1. बाइबल परमेश्वर के प्रेरित वचन हैं
2 तीमु 3:16 “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और शिक्षा, ताड़ना, और सुधार, और धार्मिकता की शिक्षा के लिए उपयोगी है।”
“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।” “प्रेरणा से” का अभिप्राय यह है कि पवित्र आत्मा ने बाइबल के लेखकों अपने ईश्वरीय प्रभाव से प्रेरित करके लिखवाया। बाइबल में परमेश्वर के वचन का समावेश ही नहीं; परंतु यह स्वयं परमेश्वर का वचन है।
बाइबल के लेखकों ने किसी मनुष्य की प्रेरणा या इच्छा से नहीं लिखा, परंतु “भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जा कर परमेश्वर की ओर