नीतीश, ममता, केजरी ने करारा हमला बोलते हुए मोदी सरकार पर भारत की संघीय संरचना को ‘कुचलने’ और राज्यपालों एवं उप-राज्यपालों के जरिए राज्यों में ‘समानांतर सरकारें’ चलाने का आरोप लगाया। ‘सहकारी संघवाद’ एवं केंद्र-राज्य संबंधों पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से आयोजित सम्मेलन में नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर जमकर हमला बोला। नीतीश बिहार विधानसभा चुनावों के कारण इस सम्मेलन में व्यक्तिगत तौर पर हिस्सा नहीं ले सके, लेकिन इस कार्यक्रम में उनका संदेश पढ़ा गया।
अपने संबोधन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संवैधानिक पदों के ‘दांव पर लगे’ होने का दावा करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आवास पर सीबीआई छापेमारी के लिए मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया और सवाल किया कि यदि कोई मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आवास पर छापेमारी का आदेश दे दे तो क्या होगा।ममता ने कहा, ‘आज आप मुख्यमंत्रियों के आवास पर छापेमारी करवाते हैं। पर कल यदि किसी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के आवास पर छापेमारी करवा दी तो? सारे संवैधानिक पद दांव पर लगे हैं। हमने कभी नहीं देखा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, न्यायाधीशों, अखबार के संपादकों के आवासों पर यह छापे कराए जाते हों। नैतिकता होनी चाहिए। उनमें नैतिकता ही नहीं है।’
आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई ने बीते शनिवार को हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला स्थित आवास सहित 13 जगहों पर छापेमारी की थी। जिस दिन छापेमारी हुई थी, उस दिन वीरभद्र की बेटी की शादी थी। ममता ने केंद्र की मोदी सरकार पर राज्यपालों के जरिए राज्यों में ‘समानांतर सरकारें’ चलाने और ‘हर चीज में सांप्रदायिकता’ घोल देने के आरोप लगाए।
अपने संबोधन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संघवाद को मजबूत करने के लिए पूर्ण विकेंद्रीकरण की मांग की और आरोप लगाया कि केंद्र राज्यों के कामकाज में तो दखल दे ही रहा है, साथ ही साथ न्यायपालिका को भी ‘कमजोर’ कर रहा है। केजरीवाल ने केंद्र की राजग सरकार पर धन के आवंटन में राजनीति करने और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल राज्यों को डराने-धमकाने के लिए करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे केंद्र-राज्य संबंध कमजोर हो रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उप-राज्यपाल नजीब जंग ‘आप’ सरकार के 30 आदेशों को अमान्य करार देकर केंद्र के ‘एजेंट’ की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है। केजरीवाल ने दावा किया कि सिर्फ न्यायपालिका के पास सरकार के आदेशों को अवैध घोषित करने की शक्ति है, बशर्ते वे संविधान के खिलाफ हों। उन्होंने आश्चर्य जताया कि ऐसी स्थिति में अदालतों की क्या आवश्यकता है।
उप-राज्यपाल द्वारा दिल्ली के नौकरशाहों को ‘आप’ सरकार के ‘अवैध’ आदेशों का फरमान जारी करने का हवाला देते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘यह अधिकारियों के बीच बगावत या राजद्रोह को प्रोत्साहित करने जैसा है।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र और उप-राज्यपाल न सिर्फ राज्य सरकारों की शक्तियों का अतिक्रमण कर रहे हैं, बल्कि वे न्यायपालिका की शक्तियां भी छीन रहे हैं। वे कह रहे हैं कि हम आदेशों को अमान्य कर देंगे, न कि न्यायपालिका। ऐसा लगता है कि दिल्ली में न्यायाधीशों की कोई आवश्यकता नहीं है।’
अपने संदेश में नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि उन्होंने बिहार को विशेष दर्जा देने का वादा क्यों पूरा नहीं किया । इसके साथ ही उन्होंने केंद्र पर देश के संघीय ढांचे को ‘कुचलने’ का आरोप लगाया। केंद्र-राज्य संबंधों पर भेजे अपने संदेश में नीतीश ने कहा कि मोदी चुनावों को देखते हुए बिहार के लिए ‘बड़ी-बडी घोषणाएं’ कर रहे हैं लेकिन ओड़िशा एवं पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जदयू-राजद-कांग्रेस के ‘महागठबंधन’ की अगुवाई कर रहे नीतीश ने राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक न बुलाने के लिए भी केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि एनडीसी ही इकलौता ऐसा मंच है जहां मुख्यमंत्री अपनी राय रख सकते हैं। दिल्ली सरकार ने सम्मेलन में भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों समेत सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया था लेकिन सिर्फ ममता और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने इसमें हिस्सा लिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मिजोरम के मुख्यमंत्री लल थनहावला और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी ने अपनी तरफ से समर्थन का पत्र भेजा, जिसे पढ़कर सुनाया गया।