नासा का दावा मंगल गृह पर है पानी

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नासा ने मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है। नासा ने मंगल ग्रह पर पानी होने की पुष्टि की है। साइंटिस्ट्स का मानना है कि मंगल ग्रह पर देखी गई गहरी लकीरों को अब तरल पानी के सामयिक बहाव से जोड़कर देखा जा सकता है। नासा के सैटेलाइट से मिला डाटा से पता चलता है कि चोटियों पर दिखने वाले ये लक्षण नमक की मौजूदगी से जुड़े हैं। अहम बात है कि ऐसा नमक, पानी के जमने और भाप बनने के तापमान को भी बदल सकते हैं। इससे पानी ज्यादा समय तक बह सकता है। नासा के इस खुलासे से मंगल ग्रह पर जीवन होने की नई उम्मीद जगी है।

मंगल पर पानी मिलने की संभावना इसलिए जोर पकड़ी थी, क्योंकि नासा ने इस अनाउंसमेंट में लुजेंद्र ओझा नाम के पीएचडी स्टूडेंट के शामिल होने की बात कही थी। 2011 में ग्रैजुएट कर चुके 21 वर्षीय लुजेंद्र ने मंगल पर पानी के संभावित लक्षण खोजे हैं। बता दें कि वैज्ञानिकों को मंगल के ध्रुवों पर जमे हुए पानी की जानकारी तो पहले से है, लेकिन इसे लिक्विड फॉर्म में खोजा जाना अभी बाकी है।

एरिजोना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ओझा को ‘संयोगवश’ पहली बार इस बात के सबूत मिले थे कि मंगल पर लिक्विड फॉर्म में पानी मौजूद है। प्लैनेट की सतह की तस्वीरों की स्टडी के बाद उन्हें इस बात के सबूत मिले थे। ओझा ने इस खोज को ‘भाग्यशाली संयोग’ बताते हुए कहा कि शुरुआत में उन्हें इसके बारे में समझ में नहीं आया। मंगल की सतह पर बने गड्ढों की कई साल तक स्टडी के बाद पता चला कि ये बहते पानी के कारण बने हैं।

मंगल पर पानी के सबूत मिलना कोई नई बात नहीं है। करीब चार दशक पहले इस प्लैनेट के पोल पर बर्फ की खोज की गई थी। इसके अलावा, ग्रह की सतह पर रगड़ के निशान इस ओर इशारा करते हैं कि लाखों साल पहले यहां समुद्र और नदियां रही होंगी। हालांकि, इस ग्रह पर कम ग्रैविटी और वहां के वायुमंडल के आधार पर माना जाता है कि ग्रह पर मौजूद पानी स्पेस में इवैपेरेट (वाष्पित) हो गया होगा।

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