विरोध प्रदर्शन के बीच नेपाल में नया संविधान लागू

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आठ साल चले सियासी मशक्कत के बाद नेपाल में नया संविधान लागू कर दिया गया। देश के कई हिस्सों में नए संविधान को लेकर जारी विरोध के मद्देनजर कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है। राजधानी काठमांडू में भी सुरक्षा के कड़े इंतजामात हैं। रविवार को संसद भवन परिसर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति रामबरन यादव ने नए संविधान की घोषणा की। इसके तहत हिंदू बहुल नेपाल अब एक धर्मनिरपेक्ष देश कहलाएगा। इससे पहले नेपाल के बीरगंज शहर में नए संविधान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की। जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई।

संविधान सभा ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने की मांग को ठुकरा दिया। उसके बाद से ही कई हिंदू संगठन नए संविधान का विरोध कर रहे हैं। दक्षिणी इलाके में रहने वाले थारू और मधेसी (नेपाल में बसे हुए मूल रूप से भारतीय) जातीय समूहों की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन ने नेपाल के कुछ हिस्सों में माहौल को तनाव से भर दिया है। दक्षिणी इलाके में नए संविधान का विरोध करने को लेकर अब तक 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

मधेसी नए संविधान के तहत नेपाल को सात प्रांतों में विभाजित करने के प्रावधान का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, अभी प्रांतों के नाम और क्षेत्र निर्धारित नहीं किए गए हैं। दक्षिणी इलाकों के जातीय अल्पसंख्यकों का कहना है कि नए संविधान के तहत वे राजनीतिक रूप से पिछड़ जाएंगे। उनके मुताबिक, नए संविधान में उनके अधिकारों को दरकिनार किया गया है।

इससे पहले फेडरल सोशलिस्ट फोरम के एक मधेसी नेता शिवाजी यादव ने आरोप लगाया था कि बड़ी पार्टियों ने न सिर्फ अल्पसंख्यक समूहों को कुचलने का प्रयास किया, बल्कि देश को अराजकता के माहौल में भी धकेला है। उनके मुताबिक, नया संविधान नेताओं के विशेषाधिकार प्राप्त पुराने गार्ड्स को ध्यान में रखकर तैयार किया है न कि देशवासियों के लिए।

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