राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात में रामनवमी और रमजान के अवसर पर हुई झड़पों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच आयोग के गठन की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।न्यायमूर्ति एल नागेश्वर और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा किस तरह की राहत? आप पूर्व सीजेआई के तहत जांच चाहते हैं? पता करें कि कोई पूर्व सीजेआई फ्री हैं। यह किस तरह की याचिका है?
याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी ने कहा कि इसी तरह के दो मामले पहले से ही लंबित हैं और इसे शुरूआत में ही दायर किया गया था लेकिन इसे क्रमांकित नहीं किया जा सका।तिवारी ने जोर देकर कहा कि स्थिति चिंताजनक है और आरोप है कि एकतरफा जांच की जा रही है।उन्होंने शीर्ष अदालत से धार्मिक झड़पों की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन करने का आग्रह किया।
पीठ ने कहा : ऐसी राहत की मांग न करें जो इस अदालत द्वारा नहीं दी जा सकती .हम इसे खारिज करते हैं।याचिका में कहा गया है, “राजनीतिक और सामुदायिक तनाव के कारण देश के विभिन्न स्थानों पर जो स्थिति पैदा हो गई है, उस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इस तरह की घटना की रोकथाम के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
भेदभावपूर्ण तरीके से बुलडोजर चलाया जा रहा है।याचिका के अनुसार, मध्यप्रदेश के खरगोन में, 18 मार्च को दो समुदायों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें 50 से अधिक घरों और संपत्तियों को जलाकर राख कर दिया गया।इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने कथित पथराव करने वालों के 16 घरों और 29 दुकानों को ध्वस्त करने और तोड़फोड़ करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया। इस संबंध में सरकार ने कानून अपने हाथ में लिया है।