फीस वसूली मामले में स्कूलों को मद्रास हाईकोर्ट के दिशानिर्देश मानने का दिया निर्देश

तमिलनाडु के शिक्षा विभाग ने कहा है कि राज्य के सभी गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए फीस वसूली में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।

राज्य स्कूल शिक्षा आयुक्त के. नंदकुमार ने सभी मुख्य शैक्षिक अधिकारियों (सीईओ) और जिला शैक्षिक अधिकारियों (डीईओ) को एक परिपत्र में निर्देश दिया है कि वे गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा छात्रों से फीस वसूली में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें।

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि माता-पिता/छात्र और स्कूल प्रबंधन के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो संबंधित डीईओ को उचित निर्णय लेना चाहिए।आयुक्त ने अपने सर्कुलर में दोहराया है कि सभी डीईओ और सीईओ गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए शुल्क संग्रह पर फिर से निर्देश दें।

सर्कुलर में सीईओ और डीईओ से गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों से संवाद करने का आग्रह किया गया है। कहा गया है कि अगर उनके द्वारा किए गए किसी नियम के उल्लंघन को अदालत की अवमानना के रूप में लिया जाएगा।

फीस वसूली में अदालत के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर संबंधित स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल उन माता-पिता से छह किस्तों में 85 प्रतिशत तक फीस ले सकते हैं जो शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में कोविड-19 से प्रभावित नहीं थे।

जिन माता-पिता को महामारी के कारण आय का नुकसान हुआ है, वे स्कूल प्रबंधन से फीस में कमी पर विचार करने के लिए अनुरोध कर सकते हैं और मूल फीस का 75 प्रतिशत छह समान किस्तों में भुगतान कर सकते हैं।

शुल्क वही रहेगा, जो शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के दौरान निर्धारित किया गया था। निजी गैर सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को 2020-21 के लिए बकाया फीस समान किस्तों में वसूल करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने स्कूल प्रबंधन को उन लोगों की याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी नौकरी या व्यवसाय खो दिया है। हालांकि, अदालत ने कहा कि इस पर केवल व्यक्तिगत आधार पर ही विचार किया जा सकता है।

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