पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच बने गतिरोध को दूर करने के लिए हुई कोर कमांडर स्तर की बैठक में मामला सुलझाने के लिए चीन ज्यादा उत्सुक था।चीन की तरफ से पहली बार ऐसे संकेत दिए गए थे कि वह 4 मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने के लिए तैयार है और उसे इस रणनीति पर काम करने के लिए एक दिन का समय चाहिए।
दरअसल भारत में चीनी सामान का बहिष्कार और चीन के हजारों-करोड़ों रुपए के ठेकों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू होने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पेंशन निधि में निवेश में चीन का रास्ता रोके जाने के बाद उसके तेवर ढीले पड़े। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि कहीं भारत में उठे राष्ट्रवाद के उफान को ठंडा करने के लिए चीन नकली संघर्ष विराम की साजिश तो नहीं कर रहा है।
बैठक में चीन की तरफ से तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के मेजर जनरल लियू ली ने सीमा पर शांति बहाली के लिए ज्यादा उत्सुकता दिखाई। सेना सूत्रों के अनुसार जनरल हरिन्दर सिंह और लियू ली के बीच हुई बैठक में दौलता बेग ओल्डी से लेकर पैंगोंग लेक तक एलएसी के विवादित बिंदुओं पर एक-एक करके सहमति व्यक्त की गई।
सूत्रों ने यहां तक कहा कि चीनी सेना ने पीछे हटने के लिए रूपरेखा तय करने के लिए एक दिन का समय मांगा। सेना सूत्रों के अनुसार गलवान घाटी में भारत से ज्यादा चीन के सैनिक हताहत हुए हैं। चीनियों को इस बात का एहसास हो गया है कि भारतीय सेना में संख्या कम होने के बावजूद भी उन्होंने चीन की भारी-भरकम सेना को पीछे धकेल दिया था।
चीनी सेना के तेवर नरम होने के पीछे एक वजह यह भी है कि भारतीय लोगों ने चीनी सामान का बहिष्कार करने की पहल की है। सरकार ने भी चीन की परियोजनाओं को निरस्त करना शुरू कर दिया है। भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए निवेश करने की चीन की नीति में भी परिवर्तन कर दिया है।
चीन को लगता है कि इस आर्थिक वार में उसको नुकसान होगा इसलिए फौरी तौर पर युद्ध विराम कर लिया जाए ताकि भारत में जो राष्ट्रवाद का उफान खड़ा हुआ है, उसे ठंडा पड़ने दिया जाए।चीन की सेना का पीछे हटने पर सहमत होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि पैंगोंग लेक के फिंगर 4 तक उसने पहले ही सड़क बना दी है।
भारतीय सेना को फिंगर 3 से फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग करने के लिए जाने के लिए खड़ी पहाड़ी पर चढ़ाई में करीब 40 से 50 मिनट का समय लग जाता है और फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के सफर में उसे चीन द्वारा बनाई गई सड़क का ही इस्तेमाल करना होता है।
जब भी भारतीय सेना फिंगर 8 की तरफ जाती है तो चीन फिंगर 8 की तरफ आकर बैनर के माध्यम से भारतीय सेना को पीछे जाने को कहती है और भारतीय सेना लौट आती है। अभी चीन ने फिंगर 4 में एक टिन शेड लगा दिया है। उसे केवल टिन शेड को हटाना है।
यहां पर उसने फुल फ्लेज्ड सैनिक पोस्ट नहीं बनाई है, जबकि यहां तक पहुंचने के लिए उसने सड़क पहले से बनाई हुई है और भारत की तरफ से अभी तक सड़क नहीं बन पाई है इसलिए चीन को वहां से पीछे हटने में कोई दिक्कत नहीं है।
गलवान घाटी में गलवान नाला इतना शंकरा है कि चीनी सेना नीचे उतर नहीं सकती है और भारत ने एलएसी में अपनी तरफ एक बैली ब्रिज बनाकर अपना दावा मजबूत कर दिया है तो इसलिए वहां भी चीन को अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हटने में भी दिक्कत नहीं है, क्योंकि उसने यहां से थोड़ी दूर में ही स्थायी ढांचे खड़े कर दिए और वहां पर बड़ी संख्या में ट्रक, टैंक और आर्टलरी मौजूद हैं।