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अरमान बड़ा या पैसा…???

जब भी कोई लड़की अपने ससुराल जाती है

जाने कितने अरमान अपने साथ ले जाती है।

बिना भूल किए सारे आंसू पी जाती है

और फिर एक दिन अग्नि को सौंप दी जाती है।।

क्या यही था उसका अरमान,

पत्थर दिल है क्यों इंसान।

क्यों लोग उन्हें समझ नहीं पाते,

भूल जाते हैं सारे रिश्ते नाते।।

कहते हैं कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं होता,

फिर क्यों कन्या का सम्मान नहीं होता।

काश वे लोग ले ये जान,

कन्यादान से मिला उन्हें सम्मान।।

जिसने समझा बहू को बिटिया,

उसने पाई खुशियां ही खुशियां।

बहू को बेटी मानकर देखो,

खुशियों का अर्थ जानकर देखो।।

लोग समझ नहीं पाते हैं क्यों मेरे जज्बातों को।

क्या इतना आसान है भुलाना रिश्ते नाते को।।

कोई तो बताए मेरे जीवन का अभिप्राय,

कोई मेरे साथ मेरे सपनों को अपनाए।

डर है दुनिया की इस भीड़ में मैं खो ना जाउं,

सपनों की खातिर अपनों से दूर हो ना जाउं।।

दुनिया की इस भीड़ में मैं भी अपनी पहचान बनाना चाहती हूं,

मरकर भी अमर रहने के स्वप्न को हकीकत बनाना चाहती हूं।

लोग मिसाल दे मेरे हौसले की… मेरे आदर्शों की…

ऐसी कभी ना बुझने वाली मशाल जलाना चाहती हूं।।

बबली

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